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Pt. Rup Chand Joshi

Author, Writer

Pt. Rup Chand Joshi (1898–1982) was a distinguished Indian author and astrologer, renowned for his significant contributions to Vedic astrology and palmistry through his work, the Lal Kitab. Born on January 18, 1898, in the village of Pharwala in Jalandhar district, Punjab, he hailed from a Brahmin family; his father, Pandit Jyoti Ram Joshi, served as a revenue official in the Punjab Revenue.

Book 1

इल्म सामुद्रिक की लालकिताब के फरमान(1939)

Author

Pt Rup Chand Joshi

Book 2

इल्म सामुद्रिक की लालकिताब के अरमान (1940)

Author

Pt Rup Chand Joshi

Book 3

लालकिताब तीसरा हिस्सा (1941) जिसे प्यार से लोग गुटका भी कहते है

Author

Pt Rup Chand Joshi

Book 4

इल्म सामुद्रिक की लालकिताब (1942)

Author

Pt Rup Chand Joshi

Book 5

इल्म सामुद्रिक की लाल किताब (1952)

Author

Pt Rup Chand Joshi

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मैने लाल किताब के सन्दर्भ इन्हीं दिनो कुछ विडीयो देखीं जो कि समाज में भ्रम पैदा करने वाली हैं। इस लिये मैने यह विचार किया कि क्यो न मैं इस सम्बन्ध में लाल किताब के रचियता परम आदर्णीय पंडित रूप चन्द जोशी जी जिन्होंने लाल किताब की अद्भुत 5 किताबें { इल्म सामुद्रिक की लालकिताब के फरमान(1939), इल्म सामुद्रिक की लालकिताब के अरमान (1940), सामुद्रिक की लालकिताब तीसरा हिस्सा (1941) जिसे प्यार से लोग गुटका भी कहते है,इल्म सामुद्रिक की लालकिताब तरमीम शुदा (1942) ,इल्म सामुद्रिक की लाल किताब 1952)} के सुपुत्र पंडित सोमदत्त जोशी (सेवा निवृत्त - तेह्सीलदार, पंजाब) जो कि इस समय 93 साल के हैं तथा उनके पौत्र श्री इक्बाल चन्द जोशी जी जो को इस समय हरियाणा में रहते हैं, उनसे मिल कर इस विषय पर चर्चा कर सत्य को स्थापित करू। लाल किताब के संदर्भ में फैली भ्रांतियों के निराकरण के लिये उनसे बेहतर बताने वाला इस समय कोई नहीं है। उन्हों ने इस किताब के रचना काल के समय से प. रूपचन्द जोशी जी की साधना को देखा और जिया है। पंडित सोमदत्त जी ने बताया कि उनके पिता श्री रविवार के दिन बिना अन्न ग्रहण किये लोगों के टेवे निःशुल्क as a hobby देखते थे। उन्हों ने बताया कि उनके पिता जी ने अपनी वसीहत में तमाम हकूक उन्हें दे दिये थे परन्तु न तो उन्होंने और ना ही उनके लडकों इक़्बाल चन्द जोशी जो भारत मे रहकर इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे है , व राकेश जोशी और वरिन्दर जोशी (कनाडा) ने इस किताब को छपवाया और न ही इस विद्या के द्वारा किसी प्रकार का भ्रम फैलाया। पंडित जी के पौत्र पं इकबाल जी ने स्पष्ट किया कि 1952 के प्रकाशित होने के बाद उनके दादा श्री ने अन्य किसी भी किताब को नही लिखा। इन सब भ्रांतियों के निराकरण के लिये मैं, रिभुकान्त गोस्वामी, पुत्र गोलोकधाम निवासी दैवज्ञ पंडित वेणीमाधव गोस्वामी उनके निवास स्थान पर गया और रुबरू उनका दर्शन तथा आशिर्वचन आप सब तक पहुंचाने का प्रयास कर रहा हूं। पंडित सोमदत्त जी ने इस विषय पर श्रृंखला बद्ध तरीके से बात चीत करने के मेरे विन्रम आग्रह को स्वीकृति प्रदान कर दी है। इस श्रृंखला का प्रथम पुष्प आप सब के सम्मुख प्रेषित कर रहा हूं। अब मैं पं. सोमदत्त जी से प्रार्थना करता हूं कि वह अपने आशिर्वचन से सभी दर्शकों व श्रोताओं को धन्य करें। मित्रो आप ने पंडित सोमदत्त जोशी जी के मुखारविंद से यह सब बाते सुनी ओर उन्होंने आप सभी को आशिर्वाद भी दिया ओर लाल किताब से संबंधित पहला संबोधन आप सब के लिए किया। पंडित जी एक ही बात कहते थे कि ना कोई गुरु ना कोई चेला। पर मित्रो जब मै पंडित जी के पास बैठा ओर उनसे बात की तो मुझे लालकिताब के प्रति उनकी अगाध निष्ठा व समपर्ण साफ-साफ नजर आया।पर आजकल जो लालकिताब के संबंध में तरह-तरह की भ्रांतियां फैलाई जा रही है उनसे उनके मन मे बहुत वेदना है ।मैं उनकी इस पीड़ा को स्पष्ट रूप से महसूस कर रहा था। आज लाल किताब को लेकर कोई यह दावा कर रहा है कि उसके पास पंडित जी की कोई किताब है, कोई कह रहा है कि उसके पास पंडित जी के कुछ नोट्स है, कोई कह रहा है कि पंडित जी ने उन को सिखाया, पंडित जी ने उन को अपनी कुछ वस्तुएं दे दी हैं।इसी तरह से अनेको प्रकार से कुछ लोग समाज मे लाल किताब के प्रति भ्रम फैला रहे हैं। मेरी हाथ जोड़कर आप सभी लाल किताब के जिज्ञासुओं एवं जानकार लोगो से यह प्रार्थना है कि इस तरह की भ्रमित करने वाली बाते ना फैलाये। ओर कृपया जो ऐसी बाते फैला रहे है उन्हें रोके । पंडित जी के परिवार ने मुझे यह बताया है और स्पष्ट रूप से यह निर्देश दिया है हमारे परिवार ने पंडित जी से जुड़ी कोई भी वस्तुऐ किसी को नही दी है।सभी वस्तुएँ आज भी पंडित जी के परिवार के पास सुरक्षित हैं। ना ही पंडित जी ने किसी को अपना चेला बनाया, ना ही पंडित जी के कोई गुरु थे। मेरी सभी से हाथ जोड़कर प्रार्थना है यह शब्द मेरे नही है मै यह उनके परिवार के शब्द आप लोगो तक पहुंचा रहा हुं। कृपया करके लाल किताब को बदनाम ना करे, और केवल मात्र सभी का भला ही करे। क्योंकि पंडित जी एक ही बात कहते थे कर भला होगा भला अन्त भले का भला।